दरमानी लाल और उनके द्वारा बनाये गए रिंगाल के उत्पाद। |
उम्र के जिस पड़ाव पर अमूमन लोग घरों की चाहरदीवारी तक सीमित होकर रह जाते हैं वहीं सीमांत जनपद चमोली की बंड पट्टी के किरूली गांव निवासी 65 वर्षीय दरमानी लाल जी इस उम्र में हस्तशिल्प कला को नयी पहचान दिलाने की मुहिम में जुटे हुए हैं। वे विगत 42 सालों से रिंगाल के विभिन्न उत्पादों को आकार दे रहें हैं। रिंगाल के बने कलमदान, लैंप सेड, चाय ट्रे, नमकीन ट्रे, डस्टबिन, फूलदान, टोकरी, टोपी, स्ट्रैं सहित विभिन्न उत्पादों को इनके द्वारा आकार दिया गया है। आज इनके द्वारा बनाए गए उत्पादों का हर कोई मुरीद हैं। कई जगह ये रिंगाल हस्तशिल्प के मास्टर ट्रेनर के रूप में लोगों को ट्रेनिंग दे चुके हैं।
उत्तराखंड में वर्तमान में करीब 50 हजार से अधिक हस्तशिल्पि हैं जो अपने हुनर से हस्तशिल्प कला को संजो कर रखें हुये हैं। ये हस्तशिल्पि रिंगाल, बांस, नेटल फाइबर, ऐपण, काष्ठ शिल्प और लकड़ी पर बेहतरीन कलाकरी के जरिए उत्पाद तैयार करते आ रहें हैं। युवा पीढ़ी अपनी पुश्तैनी व्यवसाय को आजीविका का साधन बनाने में दिलचस्पी कम ले रही है। परिणामस्वरूप आज हस्तशिल्प कला दम तोडती और हांफती नजर आ रही है।
एक जनपद, दो उत्पाद' योजना के अंतर्गत चमोली की हस्तशिल्प कला को मिलेगी नयी पहचान !
उत्तराखंड में एक जनपद दो उत्पाद (ओडीटीपी) योजना लागू हो गई है। इसके तहत बाजार में मांग के अनुरूप कौशल विकास, डिजाइन विकास व कच्चे माल के जरिये नई तकनीक के आधार पर प्रदेश जिले में दो उत्पादों का विकास किया जाएगा। उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में वहां के स्थानीय उत्पादों की पहचान के अनुरूप उनका विकास करना है। इससे स्थानीय काश्तकारों एवं शिल्पकारों के लिए जहां एक ओर स्वरोजगार के अवसर पैदा होंगे वहीं दूसरी ओर हर जिले के स्थानीय उत्पादों की विश्वस्तरीय पहचान बन सकेगी। चमोली जनपद के कुलिंग, छिमटा, पज्याणा, पिंडवाली, डांडा, मज्याणी, बूंगा, सुतोल, कनोल, मसोली, टंगणी, बेमरू, किरूली गांव हस्तशिल्पियों की खान है। इन गांवों के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन हस्तशिल्प है। किरूली गांव के 65 वर्षीय दरमानी लाल विगत 42 सालों से रिंगाल का कार्य करते आ रहें हैं। वहीं अपने पिताजी दरमानी लाल जी के साथ रिंगाल के उत्पादों को तैयार कर रहे राजेन्द्र कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में रिंगाल के उत्पादों की भारी मांग है। हस्तशिल्प रोजगार का बड़ा साधन साबित हो सकता है। यदि हस्तशिल्प उद्योग और हस्तशिल्पियों को बढ़ावा और प्रोत्साहन मिले तो पहाड़ की तस्वीर बदल सकती है। बाजार की मांग के अनुरूप हमें नये लुक और डिजाइन पर फोकस करना होगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में एक जनपद, दो उत्पाद' योजना के अंतर्गत चमोली की हस्तशिल्प कला को मिलेगी नयी पहचान मिलेगी और हस्तशिल्पियों को रोजगार के अवसर।
उत्तराखंड के 13 जिलों के इन उत्पादों का हुआ एक जनपद, दो उत्पाद' योजना के अंतर्गत चयन !
एक जनपद, दो उत्पाद' योजना के अंतर्गत उत्तराखंड के 13 जनपदों में से प्रत्येक जनपद के दो उत्पादों का चयन उक्त योजना के लिए हुआ है।
वास्तव में देखा जाए तो हमारी बेजोड़ हस्तशिल्प कला और इनको बनाने वाले हुनरमंदों का कोई शानी नहीं है। अगर आपको भी दरमानी लाल जी और उनके पुत्र राजेन्द्र के बनाये रिंगाल के उत्पादों को देखने और खरीदने का अवसर मिलेगा। अगर आपको इनके बनाये रिंगाल के उत्पाद पसंद हैं तो आप इनसे सम्पर्क कर सीधे फोन-87550 49411 पर डिमान्ड भी दे सकते हैं।
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