आज पूस का पहला इतवार है। कुमाऊँ में पूस के पहले इतवार से बैठकी होली शुरू हो जाती है। आज से वसंत पंचमी तक पहाड़ में भक्ति परख होलियाँ गाई जाएंगी। इन्हें " निर्वाण " की होली कहा जाता है। इन होलियों में देवताओं की दार्शनिकता और रहस्यात्मकता का वर्णन होता है । आध्यात्मिकता और धार्मिक भावों की प्रधानता होती है। सो, आप भी कुमाऊँनी भक्ति परख होली का आनन्द लीजिए।
तुम सिद्धि करो महाराज,होली के दिन में।
सिद्धि के दाता, विध्न विनासन
होली खेलै गिरिजा को नंन्दन,
शंभु को नन्दन,मूसा को वाहन,
होली खेलै गिरिजा को नंन्दन।
राम,लछिमन,भरत,सहसगुन,
रघुकुल के सिरताज,
होली के दिन में।
तुम सिद्धि करो महाराज,होली के दिन में।
बह्मा,विष्णु, महेस मनाऊँ हो हमरे सिरताज,
होली के दिन में।
हमरी राखो लाज होलिन के दिन में।
तुम सिद्धि करो महाराज, होली के दिन में।
साभार : श्री प्रयाग पाण्डे (नैनीताल)
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