बारिश इधर का उधर एप्प-के सिलसिले में नासा से विनोद पैंट के पास आया फ़ोन।




हास्य व्यंग्य । दिन में बिरुड़ पचकाकर दिसांण में खिती  जैसा रहा था कि अचानक फोन का घान बजने लगा, देखा तो अननोन नम्बर था। कौल भी बिदेश से जैसी लग रही थी । पहले तो सोचा हैकर होगा। फिर मैंने सोचा कि हैकर भी हुवा तो मेरा क्या करेगा। अपना तो हिसाब वही ठैरा - लिन गोरु लि जदुक हग पुछाड़ लै लटपटाय।  बैंक से मिनिमम बैलेंस के मैसेज आ रे ठैरे   . फोन उठा लेता हूं क्या पता हैकर को कुछ दाय माय आ जाय। कुछ ढेपू टांक उल्टा दे दे।

मैंने हैलो कहा तो उधर से एक चेली की जैसी आवाज आई - 

क्या मैं मिस्टर बिनोद पैन्ट से बाट कर रही हूं? 
मैंने कहा - खाप खुकल कर बात करो। मैं बिनोद पैन्ट नहीं। विनोद पन्त बोल रहा हूं   

फिर आवाज आई - वही-वही,  बिनोद पैन्ट। 
मैलि कौय - झन खै जाये अलबेरा धान।  नाम बिगाडनै .. तेर बिती पन्त नै बुलाईणय तो बिनोद पणज्यू कह दे .. 

फिर आवाज ऐ - ओ के .. बिनोद पाणि ज्यू .. 
अब मुझे गुस्सा आ गया।  मैंने लगभग किकाट करते हुए कहा - 
तेरे ख्वारन तौड्या दूंगा हां पाणि .. मेरे बापू ने चार बामणों से मेरा कुनव बनाकर छांट-छांट कर मेरा नाम रखा और तूने दो मिनट में मेरे नाम का कच्यार कर दिया।  

उधर से से फिर आवाज आई - आई एम सो सौरी मिस्टर - बीनोद। असल में मैं नासा से बाट कर रही हूं। 
मैलि कौय - तू नासा  से बात कर या सत्यानासा से पर मेरे नाम की मौ गध्यार क्यों लगा रही है .. फोन काट .. 

फिर वां बटी आवाज ऐ -  मिस्टर पैन्ट हम अमेरिका वाले नासा से बाट कर रहे हैं .  हमारे सर आपसे बाट करना चाह रहे हैं .. 

मैंने कहा -  चल करा  बात  पर तेरे सर ने भी मेरा गलत नाम लिया तो भोलनाथ ज्यू की कसम तेरा तो गव च्यापूगा और तेरे सर का सर फोड दूंगा .. 

वां बटी आवाज ऐ - ओ के सर .. प्लीज होल्ड।
फिर .. एक धुन बजने लगी - टिग टू टु टैं टैं टि टि टि टि टू ..   फिर एक आदमी की आवाज आई - 

गुड दोपहरी मिस्टर बीनोड पैन्ट .. 
मैंने कहा -अभी तक तो सरनेम का कबाडा हुवा था ।  तूने मेरे नाम को भी  खैर .. काम बोल 

उधर से नासा वाला बोला - 
मिस्टर पैन्ट वो टुम्हारे यहां ढेन्डा ने एक ऐप बनाया है बल ..
मैंने कहा - कौन सा ऐप .. कैसा ऐप 
नासा वाला - अरे वही बारिस को इढर से उढर सरकाने का .. 

मैंने अपना सिर खुजाया ... कौन ढेन्डा ? कैसी बारिस .. ? बौई  गये हो क्या .. कपकोट मुनस्यारी का माल तो नहीं सूतने लगे .. 
कम कम सुट्टे मारा करो रे . 

नासा बोला - अरे नहीं मिस्टर पैन्ट .. गोल्ज्यू की कस्सम .. गौड का कसम .  बकायदा ढेन्डा ने प्रैस कान्फ्रेंस में बोला .. 
अनानक मुझे याद आया - अरे यार ... वो ढेन्डा नहीं.  धन दा है .. 

नासा बोला - टुम उट्टराखैंड वाला बहुट टरक्की कर गया। हमने तो कभी सोचा तक नही कि ऐप से बारिस को सरका सकटा है    टुमने ऐप बना दिया .  आई एम प्राउड आफ यू ..  और ढेन डा को हमारा थैक्यू बोलना।

मैंने कहा - चल वो सब ठीक है   पर मुझे फोन क्यों किया .. 
नासा - अरे .. जरा उस एप का लिंक देना यार .  टुम्हारा खुटी सलाम .. प्लीज .. 

मेके सोच पड ग्याय .. कि भांग फुलूं .. कि बतूं यकें .. अगर लिंक दूं तो क्या दूं    नहीं दूं तो देस की बदनामी .. 
मैने कहा .. चल तेरे को ह्वट्स ऐप करता हूं    तू भी क्या याद करेगा .. 

मैने पत्नी  को सारी बात बताई .. उससे पूछा .. क्या करूं .. 
पत्नी बोली - जि भांग फुलूंछा .. 
मैने फिर कहा . कुछ तो बता .. 
पत्नी बोली .. छि बज्जर पाडौ हाय .. पगलेट फसक नि करो .. 
( बस पत्नी का इतना कहना कि लिंक मेरे दिमाक मे आ गया )
मैने तुरन्त नाासा को ह्वट्सऐप किया -

Www. बजरक फाव् / भांग फुलि जौ पगलेटा फसक .com

(साभार -श्री विनोद पंत, हरिद्वार-उत्तराखंड)
नोट - यह व्यंग्य अपनी दुधबोली के संरक्षण-संवर्द्धन एवं मनोरंजन के लिए लिखा गया है।