इस पत्र को अपने द्वार पर चिपकाने से बज्रपात का भय नहीं होता।

श्री गंगा दशहरा द्वार पत्र। 


कल यानि रविवार, 20 जून 2021 को  उत्तराखण्ड में श्री गंगा दशहरा मनाया जायेगा।  श्री गंगा दशहरा को उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचल में दशहरा या दशौर कहते हैं।  यह पर्व यहाँ बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग अपने घरों की साफ-सफाई, स्नान कर द्वार पर एक विशेष पत्र को चिपकाते हैं जिसे 'गंगा दशहरा द्वार पत्र' कहते हैं। यह पत्र पुरोहितों द्वारा अपने यजमानों को वितरित किये जाते हैं। द्वार पत्र को वितरित किये जाने की यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है। जब प्रिंटिंग हेतु सुलभ साधन उपलब्ध नहीं थे तब ये पत्र पुरोहितों द्वारा हाथ से बनाये जाते थे। अभी भी कुछ द्वार पत्र हाथ के बने देखे जा सकते हैं। लेकिन अधिकतर ये पत्र अब प्रिंटेड ही उपलब्ध हैं। इस पत्र को द्वार पर चिपकाने के पीछे ऐसी मान्यता है कि इसे लगाने से वज्रपात का भय नहीं होता। अधिकतर ये पत्र एक वृत्ताकार आकृति के होते हैं जिसके मध्य में गणेश जी, गंगा माता या हनुमान जी या शिव जी की आकृति बनी होती है। बाहर की ओर चारों तरफ वृत्ताकार शैली में संस्कृत में यह मंत्र लिखा होता है-


   अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च ।
   र्जैमिनिश्च सुमन्तुश्च पञ्चैते वज्रवारका:।।
   मुनेःकल्याणमित्रस्य जैमिनेश्चाऽनुकीर्तनात् ।
   विद्युदग्नि भयं नास्ति लिखितं गृहमण्डले।।
   यत्रानुपायी भगवान् दद्यात्ते हरिरीश्वरः।
   भङ्गो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा।।

आगे पढ़ें - दशौर - गंगा दशहरा द्वार पत्र लगाने की विशिष्ट एक परम्परा।