कल यानि 13 अप्रैल 2021 से हिन्दू वर्ष विक्रमी सम्वत 2078 की शुरुआत हो रही है। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष की शुरुआत। जिसे हिन्दू नव -संवत्सर के रूप में मनाते हैं। हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठान, शादी-विवाह इसी पंचांग के अनुसार किये जाते हैं।
श्री विक्रमी संवत 2078 शाके 1943 सन 2021-22 के संवत्सर का नाम ''राक्षस'' है। इस वर्ष राजा व मंत्री दोनों पद भौम देव (मंगल) के पास हैं। राक्षस नाम संवत्सर में लोग अपने-अपने कार्यो में लगे रहंगे, वर्षा व अन्न उत्पादन बहुत मध्यम होगा।
मंगल के राजा व मंत्री होने से समस्त विश्व राक्षसों के उपद्रव से भयभीत रहेगा, विप्र पूजा-देव पूजा से विमुख होकर लोगों में अशांति का वातावरण बना रहेगा, गायों में दूध की मात्रा अधिक रहेगी।
इस वर्ष कहीं-कहीं पर अधिक वर्षा होने से बाढ़, तूफान, बादल फटने तथा भूस्खलन से जन-धन की हानि होगी तथा प्रजा को कष्ट होगा। इस वर्ष भारत की विदेश नीति में कुछ नए परिवर्तन आएंगे तथा भारत के पड़ोसी देशों के साथ कुछ तनाव की स्थिति बनी रहेगी लेकिन भारत आक्रामक रूप दिखाकर इन स्थितियों से निजात पायेगा।
माँ आदिशक्ति भुवनेश्वरी कोट भ्रामरी से प्रार्थना है सभी आरोग्यवान हो, विश्व का कल्याण हो,सर्वत्र सुख शान्ति का साम्राज्य स्थापित हो।
विषुवत संक्रान्ति चक्र फल
सिर- कुम्भ राशि (सिर्फ धनिष्ठा नक्षत्र छोड़कर) सम्पूर्ण मीन राशि, सम्पूर्ण मेष राशि व वृष राशि में कृतिका नक्षत्र।
फल-भूमि भवन लाभ,मान सम्मान।
मुख-धनुराशि में सिर्फ उत्तराषाढा नक्षत्र वाले,सम्पूर्ण मकर राशि व कुम्भ राशि में सिर्फ धनिष्ठा नक्षत्र
फल-विद्या लाभ,प्रतियोगिता में सफलता।
हृदय में-तुला राशि के विशाखा नक्षत्र, सम्पूर्ण वृच्छिक राशि व धनु राशि (मूल व पूर्वाषाढा नक्षत्र)
फल-आर्थिक संसाधनों में वृद्धि।
दाहिने हाथ में-कन्या राशि (सिर्फ उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र को छोड़कर) तुला राशि में स्वाति नक्षत्र।
फल-विवाह, धन लाभ मांगलिक कार्य।
बायें हाथ में - सम्पूर्ण सिंह राशि व कन्या राशि में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र।
फल-अनावश्यक व्यय, धन हानि व ऋण भार।
दाहिने पैर में -मिथुन राशि में पुनर्वसु नक्षत्र व सम्पूर्ण।
फल-व्यय, भ्रमण, परिश्रम, देशाटन।
बायें पैर में-रोहिणी नक्षत्र(वृष राशि) मृगसिरा व आर्द्रा (मिथुन राशि)
फल-शारीरिक कष्ट, विवाद, अशान्ति, तनाव।
नोट- वामपाद दोष जिन जातकों का जन्म नक्षत्र रोहिणी (वृष राशि) मृगसिरा (वृष व मिथुन)व आर्द्रा नक्षत्र है। उन्हें विषुवत संक्रान्ति वामपाद (बायें पैर) में है, अतः अरिष्ट निवारण हेतु चांदी का पैर, दही,लाल व सफेद वस्त्र,चावल दान कर रूद्राभिषेक करें।
चन्द्रबल अशुद्धि (अपैट)
विषुवत संक्रांति(वैशाख 1 गते) के दिन, मिथुन, तुला, कुम्भ राशि के जातकों को अपैट है। शान्ति के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ कर वस्त्र, अनाज दान करें।।
वृष व वृच्छिक राशि में राहु केतु का योग, धनु कुम्भ व मकर राशि में साढ़े साती व मिथुन और तुला में ढैया का योग है।
विक्रमी सम्वत 2078 का आय-व्यय चक्र-
राशि लाभ व्यय फल
मेष 02 14 विजय
वृष 11 05 विजय
मिथुन 02 05 सम्मान
कर्क 11 14 हानि
सिंह 14 11 हानि
कन्या 02 05 सम्मान
तुला 11 05 विजय
वृच्छिक 02 14 विजय
धनु 14 02 विजय
मकर 08 05 रोग
कुम्भ 08 05 रोग
मीन 14 02 विजय।
नूतन वर्ष विक्रमी सम्वत 2078 आप सभी के लिए मंगलकारी हो।।
साभार
Happy Hindu New Year |
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