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पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण वृद्धाश्रम में रहने वाली असहाय महिला की चिता को मुखाग्नि देते हुए। |
बागेश्वर, 11 अगस्त 2022 | कपकोट के लोकप्रिय पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने आज जिले वृद्धाश्रम में रह रही कुंती देवी के निधन पर उनकी चिता पर मुखाग्नि देकर मानवता और एक सच्चे जन सेवक की मिशाल पेश की।
जिले के वृद्धाश्रम में 60 वर्षीय कुंती देवी कई वर्षों से रहती थी। आज उनके निधन होने पर अंतिम संस्कार के समय उनका कोई भी चिर-परिचित मौजूद नहीं था और न ही समाज कल्याण विभाग के फाइलों में उनके परिजनों का कोई रिकॉर्ड था। इस बात का पता चलने पर पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने विभाग के अधिकारियों से बात की और खुद असहाय महिला के इस निर्जीव देह को पंचतत्व में विलीन करने के लिए मुखाग्नि दी। इस दौरान उनके साथ समाज कल्याण विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।
पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण कहते हैं एक छोटा सा प्रयास कभी कभार बहुत सार्थक हो जाता है।अपने 50 साल के सफर में पहली बार यह सौभाग्य मिला। आज वृद्धाआश्रम में जब कुंती देवी जी का निधन हुआ तो उनकी चिता को अग्नि देने वाला कोई उनका चिर- परिचित मौजूद नही था न ही समाज कल्याण के फाइलों में उनके परिजनों का कोई रिकॉर्ड था। फिर विवश निर्जीव शरीर को बस मुखाग्नि ही तो देना है, ये बात सोचकर मैं तुरन्त घाट गया और समाज कल्याण के अधिकारियों से बात की।
मैंने न जाने कितने लोगों के लिए काम किया है पर आज जब मैंने घाट में एक अनजान को मुखाग्नि दी तो मुझे मेरी माँ की याद आ गयी। समाज के बीच रहने के कारण मुझे मेरी माँ के साथ रहने का बहुत कम समय मिला। उनके अंतिम समय में भी मैं उनके साथ नही था। कई बातें मेरे मन मष्तिस्क में उपज रही थी।
फिर अंतिम क्षणों में ज्यादा न सोचते हुए मैंने कुंती देवी जी को अपनी माँ के परिपेक्ष्य में रखकर उनके सुपुत्र समान उनकी चिता को मुखाग्नि देकर शायद मैंने अपनी माँ के दिए संस्कारों का ऋण चुका दिया है या नही मैं खुद असमंजस में हूँ। पर जो भी आज मन बेहद प्रसन्न है।
पूर्व विधायक की इस इंसानियत की हर कोई सराहना कर रहा है। कपकोट के युवा हरीश कपकोटी अपने फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं इंसानियत सिखाई नहीं जाती वो आपके संस्कारों व व्यवहार में होती है।
वर्तमान परिस्थितियों में हमको हिन्दू, मुस्लिम, ब्राह्मण, ठाकुर, हरिजन सब मिल जाएंगे लेकिन एक सच्चा इंसान मिलना मुश्किल है।
ऐसा ही एक सच्ची इंसानियत का स्वरूप हैं हमारे पूर्व विधायक आदरणीय ललित फर्स्वाण जी जो आपको हमको हर किसी को हर किसी के दुख में सहभागी मिलते हैं। मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि रखते हुए अपनी इंसानियत और संस्करों का परिचय देते हुए आज उन्होंने अल्मोड़ा से बागेश्वर वृद्धा आश्रम में आई एक निराश्रित वृद्ध महिला कुंती देवी को मुखाग्नि देकर दिया। कई वर्षों से वृद्धाश्रम में रह रही कुंती देवी के परिजनों की सूची भी समाज कल्याण बागेश्वर और वृद्धाश्रम के रिकॉर्ड में भी नहीं थी। ऐसे में जब #ललित_फर्स्वाण_जी को महिला के देहांत की सूचना प्राप्त हुई तो उन्होंने बेटे का फर्ज निभाते हुए विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार किया। एक निराश्रित महिला का बेटा बनकर जो फर्ज उन्होंने निभाया लाखों करोड़ों में कोई निभाता हो।
इसलिए अकसर लोगों को कहते सुना है यूँ ही कोई ललित फर्स्वाण नहीं बन जाता !
ललित फर्स्वाण जी एक राजनीतिक व्यक्ति हैं स्वभाविक है पार्टी के अंदर भी बाहर भी कई प्रतिद्वंद्वी होंगे। राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में उनको हरा तो सकते हो लेकिन विरोधियों को चुनौती है कि आपकी काबलियत तब है जब आप उनकी इंसानियत का मुकाबला कर सको।
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