प्रेरणास्रोत : 28 साल के युवा सुमन राणा ने सब्जी उत्पादन के जरिए जलाई स्वरोजगार की अलख, 2 महीने में डेढ़ लाख की आमदनी





  • ग्राउंड जीरो से संजय चौहान

चमोली गढ़वाल | लोगों को आज भी पहाड़, पहाड़ ही नजर आता है। लेकिन इन्हीं पहाड़ में यदि हौसलों और मेहनत की फसल बोई जाती है तो नयी इबादत लिखी जाती है। जी हां ये करके दिखाया है सीमांत जनपद चमोली के पीपलकोटी के समीप उत्तरी अलकनंदा घाटी में बसे बेलीखेत (गुनियाला) गांव के 28 वर्षीय सुमन राणा ने जिन्होनें अपने खेतों और पाॅलीहाउस में सब्जी उत्पादन से पिछले दो महीने में डेढ लाख की आमदनी की है। सुमन ने पिछले दो महीने में लहसुन और प्याज से 80 हजार से अधिक की आमदनी की जबकि 35 से 40 हजार के टमाटर की फसल बेच दी है। जबकि अभी भी लगभग 40 से 50 हजार तक के टमाटर और उपलब्ध होंगे। युवा किसान सुमन राणा कहते हैं कि-

इस साल सब्जियों से उन्हें अच्छी आमदनी हुई है। उन्होंने सब्जी उत्पादन से पिछले 2 महीने में डेढ लाख की आमदनी की है। उनके बगीचे में मटर, लहसुन, प्याज के बाद अब टमाटर, शिमला मिर्च, बैगन की खेती भी लगभग तैयार हो गयी है। जिससे आनें वाले दिनों में अच्छी खासी आमदनी होंने की उम्मीद है। सुमन राणा नें बताया की उन्हें उद्यान विभाग द्वारा भी समय समय पर विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी जाती है और योजनाओं का लाभ भी उन्हें मिलता रहता है।

 


वास्तव में देखा जाए तो पहाड़ के मेहनतकश लोगों नें पहाड़ की परिभाषा बदल कर रख दी है। पहाड़ के लोगों नें दिखला दिया है कि यदि दृढ संकल्प और इच्छा शक्ति से कोई भी कार्य किया जाय तो जरूर सफलता मिलती है। पहाड़ जैसी शुद्ध आबोहवा, स्वच्छ पानी, बहुमूल्य औषधि गुणों से भरपूर अनाज और फल हमेशा व्यक्ति को निरोगी रखता है। यदि पहाड़ की जवानी पहाड में रहकर रोज़गार की संभावनाओं को तलाशे तो पहाड़ की बंजर भूमि में सोना उगाया जा सकता है। लाॅकडाउन के बाद रोजगार के अवसर कम हो गयें हैं ऐसे में पहाड़ के युवाओं और दूसरे गांव के लोगों को सुमन राणा जैसे युवाओं से सीख लेने की आवश्यकता है कि कैसे पहाड़ों में रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सकता है।