समस्याओं के मकड़जाल से कब निकलेगा जगथाना गांव ?

 समस्या के मकड़जाल से कब निकलेगा जगथाना गांव ?


एक तरफ हम तकनीकी को बढ़ावा देने की बात करते हैं दूसरी तरफ बागेश्वर मुख्यालय से 30 किमी पर स्थित गांव जगथाना शासन-प्रशासन के विकास के तमाम दावों के बावजूद विकास खंड की सुदूरवर्ती जगथाना ग्राम पंचायत समस्याओं के मकड़जाल में फंसी हुई है। स्थिति यह है कि आज भी यहां के ग्रामीणों को फोन करने के लिए 10 किमी दूर हरसीला की दौड़ लगानी पड़ती है या 5-6 किमी चढ़ाई पर चढ़कर नेटवर्क खोजने का प्रयास किया जाता है। गाँव में अस्पताल ना होने के कारण लोगों को अस्पताल के लिए बागेश्वर ही आना होता है,आयुर्वेदिक अस्पताल को फार्मेसिस्ट के भरोसे छोड़ दिया गया है, जबकि गांव में एएनएम सेंटर तक नही है। नव स्वीकृत हाइस्कूल की कक्षाएं जूहा के भवनों में चल रही हैं जिससे कक्षाओं में अव्यवस्था का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को गाँव में बहुत कम देखा है अगर आ भी गए तो अपना काम निकलते ही गायब हो जाते हैं।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जगथाना ग्राम पंचायत की जनसंख्या 1300 है, जबकि गांव में 800 से अधिक वोटर हैं। धरखोला गैरपातल, धौड़ागाड़, जेबला, खितौली, उडियार, तल्लाखोला तोकों में बंटी इस ग्राम पंचायत में रोजगार के संसाधन नहीं होने से कई लोग पलायन कर बागेश्वर, हल्द्वानी और दिल्ली चले गए हैं। जब गांव में मूलभूत सुविधा ही नहीं है तो गावों से पलायन होना तो स्वाभाविक ही है। 


जेबला तोक में पीने के पानी का संकट है। जल संस्थान से शिकायत करने पर भी कोई कार्यवाई नहीं हो रही है। गधेरों में पैदल पुल नहीं होने से बरसात में उन्हें पार करना मुश्किल हो जाता है।


गाँव के ठीक मस्तक पर गर्जिल व सुकुण्डा पर्यटन स्थल हैं लेकिन लोगों को इसकी जानकारी ना होने व इसे विकसित करने में प्रशासन की कोई रुचि न होने के कारण यह सुविधा से भी वंचित रह गया है।


गाँव में जल्दी से जल्दी नेटवर्क हेतु टावर लगे,आने जाने हेतु बरसात को देखते हुए पुलों का निर्माण हो,गाँव में पर्यटन स्थलों को विकसित किया जाए, हाईस्कूल का भवन जल्दी से बनकर इस विद्यालय को इंटर की मान्यता मिलनी चाहिए,सड़क केवल मुख्य गाँव को जोड़ती है इसे प्रत्येक तोक तक पहुचाने का प्रयास करना चाहिए,गाँव में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना होनी चाहिए तथा जनप्रतिनिधियों को समय-समय पर गांव में चौपाल लगाकर समस्या को सुलझाना चाहिए।


गंगा सिंह बसेड़ा (सामाजिक कार्यकर्ता- जगथाना )