अधिक मास, मलमास या पुरूषोत्तम मास, आज बे शुरू है गो, वैसे आमतौर पर महालया श्राद्ध बाद विक अगिल दिन बे शारदीय नवरात्रि लग जानी लेकिन यह बार १९ साल बाद य एक महिने बाद होलि।
यस बतायी जा जिस चंन्द्र मास में सूर्य संक्रांति नही पडे उके अधिक मास या मल मास कुनि, और जिस चंद्र मास में द्वी संक्रांति पढनी उके क्षय मास कुनी, सामान्यतः यह अवसर २८ महिने से लिबेर ३६ महीनों क भीतेर ए जा, ज्योतिषीय गणना अनुसार, सुर्य के सभी १२ राशियों क भ्रमण में जतुक समय लगु उके सौर वर्ष कुनि, और जैक अवधि ३६५ दिन ६ घंटे और ११ सैकंड हुं, इन्ही बारह राशियों राशियों में भ्रमण चंन्द्रमा प्रत्येक मास करनी जके चंन्द्र मास कुनी।एक वर्ष में हर राशिक भ्रमण चंन्द्रमा १२ वर्ष करनी जके चन्द्र वर्ष कही जा, चंन्द्रमा का यह वर्ष ३५४ दिन और लगभग ९ घंटा हुं, परिणाम स्वरूप सूर्य और चंन्द्रमा के भ्रमण काल में, एक वर्ष में १० दिन से भी अधिक समय लगु, यहि समीकरण को ठीक करण लिजी, अधिक मास मनाई जा, लगभग तीन वर्ष में ये बचे हुई ३१ दिन से ले अधिक है बेर अधिकमास, मलमास या पुरुषोत्तम मासक नामल जानी जा।
य मास श्री विष्णु भगवान जूक मंत्र पढन चे, और उनर नामक घ्यु क दि जलून चे।
आपु सबन के जानकारी कस लागी अवश्य बताया, कोरोना काल में सब ठीक ठाक रौ यैक लिजी श्री हरी थे प्रार्थना करिया, जय श्री हरि।
भवाली बटि खीमदा 🙏🏿🌹
Post a Comment