भगवती मंदिर पोथिंग - पूजा 16 सितम्बर से होगी शुरू, 23 को मुख़ार दर्शन।
बागेश्वर। जिले के पोथिंग गांव स्थित सुप्रसिद्ध भगवती मंदिर में भाद्रपद अष्टमी को होने वाली वार्षिक पूजा की तिथि घोषित हो गई है। परम्परानुसार इस वर्ष मंदिर में आठौं पूजा का आयोजन होगा। देवी धाम में पूरे आठ दिन तक पारम्परिक रूप से पूजा-पाठ का भव्य आयोजन होगा।
पोथिंग स्थित भगवती मंदिर दानपुर की तीन प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। जहाँ हर वर्ष माता नंदा भगवती की बड़े हर्षोल्लाष और पारम्परिक रूप से पूजा की जाती है। पूजा का यह आयोजन वर्ष में सिर्फ एक बार भाद्रपद माह की नवरात्रि में होता है।
भगवती मंदिर पोथिंग में वर्ष 2023 में होने वाली पूजा की तिथि/मुहूर्त गांव के बुजुर्गों एवं पुरोहितों की मौजूदगी में ऐतिहासिक तिपारी में आयोजित सामूहिक बैठक में निकाली गई। साथ ही तय किया गया कि ग्रामीण 16 जुलाई को कदली वृक्षों को लाने मित्र गांव उत्तरौड़ा जायेंगे और हरेला पर्व के दिन कदली वृक्षों को लेकर पोथिंग पहुंचकर निर्धारित स्थान पर इन वृक्षों का रोपण करेंगे। मंदिर के पुरोहित शंकर दत्त जोशी ने बताया कि भगवती मंदिर पोथिंग में पूजा इस वर्ष 31 गत्ते भाद्रपद यानि 16 सितम्बर 2023 से प्रारम्भ होगी और 23 सितम्बर 2023 को मुख़ार पूजन के साथ भव्य मेले का आयोजन होगा और मुख़ार विसर्जन तथा प्रसाद वितरण के साथ पूजा तथा मेले का समापन होगा।
भगवती मंदिर पोथिंग में वर्ष 2023 का पूजा कार्यक्रम -
- दिनांक 16 सितम्बर 2023 (भाद्रपद 31 पैट/गते ) को तिपारी में पारम्परिक विधि-विधान से गौदान और गेहूँ भरे जायेंगे।
- 17 सितम्बर 2023 को पूजा-पाठ का आयोजन होगा। रात्रि में जागरण और देव डांगरों का अवतरण।
- 18 सितम्बर 2023 को पूजा-पाठ का आयोजन होगा। रात्रि जागरण, देव डांगरों का अवतरण, भव्य झोड़ा चांचरी का आयोजन।
- 19 सितम्बर 2023 को पूजा-पाठ का आयोजन होगा। रात्रि जागरण।
- 20 सितम्बर 2023 को कुंड स्नान, गौदान हवन और मुख्य मंदिर (डुबारा) में गौदान। रात्रि जागरण और मेले का आयोजन।
- मुख्य मंदिर (डुबारा) में गौदान, जिसमें सभी श्रद्धालु अपने गौदान, पूजा-पाठ सम्पन्न कराएँगे।
- मंदिर में हवन पाठ, कदली वृक्ष को काटकर मंदिर में ले जाया जायेगा। सायं तिपारी में भंडारे का आयोजन।
- 23 सितम्बर 2023 को मुख़ार पूजन, दर्शन। सभी लोग इस दिन देवी भगवती के दर्शन और पूजन कर पायेंगे। इसी दिन भव्य पोथिंग के मेले का आयोजन होगा। सायं मुख़ार विसर्जन और प्रसाद वितरण के साथ पूजा का समापन होगा।