नव संवत्सर संवत 2080 शाके 1945 - पिंगल कैसा रहेगा आपके लिए, जानिए यहाँ - |
राष्ट्रीय पंचांग शक संवत नववर्ष १९४५ प्रारंभ हो चुका है। आज शक संवतानुसार चैत्र मास का प्रथम दिवस है। साथ ही आज विक्रमी संवत् २०८० प्रारंभ हुआ है। इस वर्ष के संवत्सर का नाम 'पिंगल' है।
आज ही के दिन २२ मार्च १९५७ को शक संवत पंचांग/शालिवाहन पंचांग को भारत का राष्ट्रीय पंचांग घोषित किया था। इस पंचांग के अनुसार नववर्ष सूर्य के विषुवत रेखा/भूमध्य रेखा में आने पर प्रारंभ होता है। जबकि विक्रमी संवत का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है और इस बार संयोग से दोनों संवत् प्रारंभ एक ही दिन यानि २२ मार्च से शुरू हो रहे हैं। शक संवत में भी महीने चैत्र, वैशाख.. से ही शुरु होते हैं। शक/शालिवाहन पंचांग भारत का राष्ट्रीय पंचांग होने के कारण आज पूरे देश का यह नववर्ष है चाहे वह भारत में किसी भी धर्म या क्षेत्र से हो।
नव संवत्सर संवत 2080 शाके 1945 - पिंगल कैसा रहेगा आपके लिए, जानिए यहाँ -
संवत्सर का नाम -पिंगल,राजा - बुध,मंत्री -शुक्र
पिंगल नाम संवत्सर के फल -
पिंगल नाम संवत्सर में अतिवृष्टि,अनावृष्टि, फसल में टिड्डी व चूहे लगना,पक्षियों से हानि,अन्न का महंगा होना, जल की कमी,तथा देश पर दूसरे देश का आक्रमण,प्रजा में अनावश्यक भय,दंगा- फसाद की आशंका तथा राजा लोग पूर्ण पराक्रम से विजय प्राप्त करके शत्रुओं का दमन करके पृथ्वी का भोग करेंगे।
चन्द्रबल अशुद्धि (अपैट) -
संवत्सर प्रतिपदा के दिन मेष,सिंह,धनु राशि के जातकों को अपैट रहेगा ।
विषुवत संक्रान्ति अपैट -
विषुवत संक्रान्ति अर्थात 1गते बैशाख को धनिष्ठा,शतभिषा,पूर्वाभाद्रपदा अर्थात धनिष्ठा नक्षत्र (मकर व कुंभ राशि) शतभिषा कुंभ राशि व पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र(कुंभ व मीन)के जातकों को अपैट रहेगा।
विषुवत संक्रान्ति चक्र फल -
सिर - विशाखा (तुला राशि के जातक) सम्पूर्ण वृश्चिक राशि ,सम्पूर्ण धनु राशि व उत्तराषाढा ,श्रवण नक्षत्र(मकर राशि)।
फल -भूमि भवन का लाभ,मान सम्मान।
मुख में -कन्या राशि(उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र को छोड़कर) स्वाति(तुला राशि)
फल- विद्या लाभ, प्रतियोगिता में सफलता ।
हृदय में - कर्क राशि (पुनर्वसु नक्षत्र को छोड़कर) सम्पूर्ण सिंह राशि व कन्या राशि के उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के जातक।
फल - आर्थिक संसाधनों में वृद्धि।
दाहिने हाथ में -वृष राशि के मृगसिरा नक्षत्र के जातक व सम्पूर्ण मिथुन राशि के जातक तथा कर्क राशि के पुनर्वसु नक्षत्र के जातक।
फल -विवाह ,धन लाभ, विवाह, मांगलिक कार्य।
बाये हाथ में - भरूणी नक्षत्र के मेष राशि के जातक व कृतिका ,रोहिणी नक्षत्र के वृष राशि के जातक
फल -अनावश्यक व्यय,ऋणभार, धनहानि।
दाहिने पैर में -मीन राशि (पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र को छोड़कर) अश्वनी नक्षत्र मेष राशि के जातक
फल - व्यर्थ भ्रमण,परिश्रम, देशाटन।
बाए पैर में - सम्पूर्ण कुंभ राशि, मकर राशि के धनिष्ठा नक्षत्र के जातक व पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र के मीन राशि के जातक
फल -शारीरिक कष्ट, तनाव, अशांति, दुर्घटना।
उपाय- जिन जातकों की संक्रान्ति वाम पाद अर्थात बाए पैर में हो तथा जिनको विषुवत संक्रान्ति अपैट हो वे अरिष्ट निवारण के लिए विषुवत संक्रांति के दिन रुद्राभिषेक कराकर चांदी का पैर,दही,घी,सफेद वस्त्र,आदि का दान करे।
सूर्य व चंद्र ग्रहण - संवत 2080 इस वर्ष भारत में 28 अक्तूबर 2023 को खंडग्रास चंद्रग्रहण दिखाई देगा।बाकी के ग्रहण भारत में नही दिखाई देंगे।
साभार - पंडित गोवर्धन जोशी
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