उत्तरायणी मेला 2023 - मुख्यमंत्री धामी की चाहत को ऐतिहासिक बनाने में जुटी हैं जिलाधिकारी अनुराधा पाल।

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बागेश्वर।  कुमाउं की काशी बागेश्वर का उत्तरायणी मेला प्रदेश ही नहीं देश-विदेश में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।  कोविड के दौरान दो साल उत्तरायणी में मात्र श्रद्वालुगण ही  माघ स्नान कर पाए. मेले की चमक कोविड काल में थम गया था।  इस बार यानि वर्ष 2023 में माघ के महीने में उत्तरायणी मेला कुछ अलग ही होने जा रहा है। नवागत युवा जिलाधिकारी अनुराधा पाल मेले को लेकर काफी उत्साहित हैं।  जिले के कई आलाधिकारी आए-गए।  हर साल माघ का महीना आते रहा और उत्तरायणी भी होती रही।  इस बार का मेला ऐतिहासिक होने की और अग्रसर हो रहा है।  इस सबके लिए जिलाधिकारी का समर्पण ही है।  वो हर छोटी-बड़ी तैयारियों के बारे में दिन-रात सोचती रहती हैं।  बागेश्वर जिले में आज जितने भी कार्य आज हो रहे है।  चाहे वॉल पेंटिंग हो या बाजार में नए टाइल हों या हर वो व्यवस्था हो जो लोगो को सुविधा दे तो उसमें जिलाधिकारी अनुराधा पाल का विशेष सहयोग है। उनके निर्देशन में ही आज मेला क्षेत्र की हर दीवार बागेश्वर के पौराणिक इतिहास के साथ ही कुली बेगार के इतिहास को दर्शा रही है।  


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जिलाधिकारी से जब इस बारे में वार्ता हुई तो दार्शनिक अंदाज में उनका कहना था कि, 'बागेश्वर जिले की पहचान ही उत्तरायणी मेला हुआ, उत्तरायणी के साथ ही कुली बेगार के बारे में बुहत पढ़ा था तो इसके लिए कुछ नया करने का मन है।  इस बार मुख्यमंत्रीजी का भी बागेश्वर में उत्तरायणी मेले को लेकर विशेष ध्यान है। वो चाहते हैं कि इस बार का उत्तरायणी मेला कुंभ की तरह ही हो। अब कोशिश यही है की मेला बेहतर से बेहतर हो। उत्तरायणी मेला तो वैसे मेले में आने वाले  मेलार्थियों का ही मेला हुवा, तो उनके लिए हर बेहतर सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है। ' 


आज दो साल बाद हो रहे मेले को भव्य रूप से मनाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि मेले को मुख्य रूप से नगरपालिका द्वारा संचालित किया जाता है पर इस बार के मेले की कमान जिलाधिकारी ने खुद ही संभाल ली है।  वहीं युवा जिलाधिकारी की भी कोशिश है कि वो जनमानस की उम्मीदों में खरी उतरे। 


- बागेश्वर से श्री जगदीश उपाध्याय की रिपोर्ट। 


उत्तरायणी के दिन कुली रजिस्टर को फाड़कर बहा दिए गए और कुली बेगार प्रथा को समूल नष्ट कर दिया गया। 

 घुघुतिया त्यार पर कुमाऊं में प्रचलित है यह लोक कथा।