कुमाऊँ, 04 नवंबर 2022 | आज मानसखंड यानि उत्तराखण्ड के कुमाऊँ अंचल में बूढ़ि दीवाली मनाई जा रही है, वहीं केदार खंड के गढ़वाल अंचल में इगास बग्वाल। ये पर्व यहाँ दीपावली से ठीक 11 दिन बाद मनाये जाते हैं। इस दिन रात को अपने घरों में दिये जलाये जाते हैं और सामूहिक रूप से भैलो खेला जाता है। इसे हरिबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। कुमाऊँ में आज के दिन एक सूप में पीछे की ओर दलिदर की प्रतिकृति भुइयां चित्रित किया जाता है और आगे की ओर विष्णु और लछमी को चित्रित किया जाता है।
घर
की महिला सुबह भुइयां को रिखू से पीटते हुए घर से बाहर " भाज भुइयां भाज"
कहती हुई आती है और आंगन में ओखल के पास दिया जलाकर अखरोट और दाड़िम फोड़ती
हैं, उसके बाद सूप से खील बिखेरते हुए घर के अंदर जाती हैं। इस दौरान "आओ
भैठो लछमी नरैण, भाज भुइयां घर से बाहर" कहा जाता है और आज ही दिन में
तुलसी विवाह भी सम्पन्न होता है तथा शाम को दीप जलाये जाते हैं। इस प्रकार
कोजागर पूर्णिमा से शुरू हुये दीपावली पर्व की आधिकारिक समाप्ति होती है।
Post a Comment