Uttarakhand | लव जेहाद और लैंड जेहाद के बढ़ते मामलों को देखते हुए देवभूमि उत्तराखंड की स्थिति अब चिंताजनक लगने लगी है। यहाँ की शांत वादियां धीरे-धीरे लव जेहाद और लैंड जेहाद जैसे अनसुने शब्दों और बढ़ती घटनाओं से अशांत है। जिसका एक अनुमान कुछ समय से अशांत चल रहे उत्तरकाशी के पुरोला क्षेत्र से लगाया जा सकता है। देवभूमि का इस तरीके की घटनाओं से अशांत होना हम सभी के लिए चिंताजनक है। समय रहते इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए उत्तराखंड सरकार को जल्द ही प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। ताकि स्थानीय लोगों के जल, जंगल, जमीन, व्यवसाय के साथ-साथ करोड़ों सनातनी हिंदुओं के आस्था के केंद्र, ऋषि-मुनियों की तपोभूमि उत्तराखंड अपने महत्व को खोने से बच सके।
उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों को बदलने की अंतर्राष्ट्रीय साजिश-
उत्तर प्रदेश के लोनी विधानसभा के विधायक नन्द किशोर गुर्जर ने देवभूमि को अपवित्र और भौगोलिक परिस्थितियों को बदलने की अंतर्राष्ट्रीय साजिश बताते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने करोड़ों सनातनी हिन्दुओं के आस्था के केंद्र बिंदु, महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों और ऋषि-मुनियों की तपस्थली उत्तराखंड की स्थिति चिंताजनक बताते हुए विदेशी ताकतों को देवभूमि से जल्द बाहर करने की मांग की है। विधायक गुर्जर ने प्रदेश में हिमांचल की तर्ज पर कठोर भू-कानून यथाशीघ्र लाकर वहां के स्थानीय लोगों के अधिकार और व्यापार को सुरक्षित करने की मांग की है।
भारी संख्या में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिये-
विधायक नन्द किशोर गुर्जर ने अपने पत्र में कहा देवभूमि उत्तराखंड आईएसआई और कट्टरपंथी मुस्लिम देशों के निशाने पर है जिसकी पुष्टि वर्ष 2000 में उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदाय की नगण्य आबादी जो वर्ष 2011 के जनगणना के अनुसार कुल जनसँख्या का 14 प्रतिशत और वर्तमान में 25 प्रतिशत से ऊपर पहुँच गई है, से लगाया जा सकता है। इसमें भारी तादाद में रोहिंग्या मुसलमान और बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या है जो देवभूमि के लिए किसी टाइम बम से हम नहीं है।
विदेशी फंडिंग से ऊँचे दामों में हो रही खरीददारी -
उन्होंने कहा कि विदेशी फंडिंग से ये लोग यहाँ ऊँचे दामों में स्थानीय लोगों से जमीन और प्रतिष्ठान खरीद रहे हैं। इस तरह की खरीद फरोख्त पर तुरंत अंकुश लगाया जाये। उन्होंने कहा कि आज हिमांचल प्रदेश की पवित्रता अपने कठोर भू-कानून के कारण अक्षुण्ण है। उत्तराखंड में भी हिमांचल प्रदेश की तरह कठोर भू-कानून को लागू किया जाए ताकि प्रदेश किसी की साजिश के कारण अशांत होने से बचे और यहाँ के लोगों की जमीनें बची रहें।
लालच में हम न बेचें अपनी जमीन -
दिन-प्रतिदिन बाहरी लोगों द्वारा यहाँ के स्थानीय लोगों से उनकी जमीनें ऊँचे दामों में खरीदी जा रही हैं। लोग लालच आकर अपनी जमीन इन लोगों को बेच रहे हैं, जो हम सभी के लिए शर्म और चिंता की बात है। लोगों को चाहिए कि कोई व्यक्ति आपसे होटल खोलने या कोई अन्य व्यवसाय के लिए आपसे आपकी जमीन खरीदना चाहते हैं तो आप बाहरी लोगों को अपनी जमीन न बेचें। आप इस व्यक्ति की जाँच-परखकर और सत्यापन कराकर अपनी जमीन को कुछ वर्षों के लिए लीज़ (किराये) पर दे सकते हैं जिसका आपको सरकारी स्टाम्प पेपर पर लीज एग्रीमेंट बनवाना होता है। निर्धारित अवधि के बाद आप उस भूमि या भवन को वापस ले सकते हैं।
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